
अगर न होते सपने, तो न होती संवेदनाएं...
अगर न होते आघात तुमसे, तो न होता विश्वास तुम पर...
क्योंकि सपनों की जमीन तुम हो
सपनों का आकाश तुम हो
और हो तुम विश्वास की कच्ची जमीन पर हौले से समाती बारिश की बूंद
जो बस गई है, रच गई है, मुझमें यानी तुम्हारे अंश में...
5 comments:
अगर न होते सपने, तो न होती संवेदनाएं...
अगर न होते आघात तुमसे, तो न होता विश्वास तुम पर...
बहुत ख़ूब...
हम वो फ़िरदौस नहीं हैं जो आप समझ रही हैं...
अगर न होते सपने, तो न होती संवेदनाएं...
अगर न होते आघात तुमसे, तो न होता विश्वास तुम पर...
बहुत ख़ूब...
हम वो फ़िरदौस नहीं हैं जो आप समझ रही हैं...
sundar prastuti . poojaji .likhti rahiye
"अगर न होते सपने, तो न होती संवेदनाएं..."
शायद जीवन के कई पडावों पर यह एक सत्य है!!
utsaahvardhan hetu dil se bahut bahuttttttttttttttttt dhanyawaad!!
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