Wednesday, September 10, 2008
रफ़्तार हिंदी की...
आप यह पोस्ट पढ़ पा रहे हैं, तो इसका सीधा सा अर्थ है कि हिंदी ने अपने पांव उन अनजान कोनों में फैला दिए हैं जहां कुछ साल पहले इसके होने की संभावना तक से इंकार किया जा रहा था।
इंटरनेट के महाजाल में हिंदी शांति से आई और अब इस भाषा की अपनी जगह है.हिंदी इतरा रही है, इठला रही है और वाकई छाने को तत्पर है। इंटरनेट, हिंदी और कंप्यूटर पर काम करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। लोगों का कम्फर्ट लेवल भी बढ़ा है कंप्यूटर पर हिंदी में काम करने के संबंध में। ई-मेल हिंदी में भेजी जा रही हैं। अन्य भाषाओं में काम करने वाले लोगों में हिंदी की साइट्स देखने और पढ़ने का सिलसिला तेज हुआ है। ब्लॉग जगत में ही देख लें...प्रत्यक्षम् किम् प्रमाणम्
हिंदी को ले कर प्रयोगों की गुंजाइश कितनी अधिक है, यह भी नजर घुमाएं तो पता चल जाता है। हिंदी के सर्च इंजन रफ्तार डॉट इन, गुरूजी डॉट कॉम ऐसे ही सफल प्रयोग तो हैं। रफ्तार डॉट इन की ही बात करें तो यह अपने आप में एक ऐसा सर्च इंजन है जो इंटरनेट उपभोक्ता को हिंदी के असीमित संसार से जोड़ता है। समाचार से ले कर साहित्य तक एवं विज्ञान से ले कर किचन तक, इंटरनेट पर मौजूद हिंदी का सारा कंटेट आपको एक िक्लक पर मिल जाता है।
हिंदी में सैंकड़ों साइट्स हैं, यह रफ्तार पर आने से पहले मुझे नहीं पता था। कुछ गिनी चुनी साइट्स को छोड़ दें, तो कितनी ऐसी साइट्स हैं जिन पर हम और आप विजिटिआते हैं? ऐसे में कुछेक महीनों के अंतराल में कुछ न कुछ नया ले कर आने वाले सर्च इंजन रफ्तार डॉट इन ने हिंदी और इंटरनेट की खुशनुमा उथल-पुथल को एक सूत्र में पिरोने की कोशिश की है।
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6 comments:
पूजा जी,
आपका लेख पढ़कर बहुत अच्छा लगा। आपकी बात में प्रवाह है, अनावश्यक दोहराव नहीं है। बाते सीधे सामने लाने की क्षमता भी है।
मैं भी रफ़्तार से बहुत लाभान्वित हुआ हूँ; विशेषकर इसलिये कि यह ऐसी सामग्री भी लाता है जो गूगल आदि नहीं दिखाते।
रफ्तार की रफ्तार वाकई तेज है। अब इसकी चर्चा लोगों के बीच भी होने लगी है। आप इससे जुड़ी हैं, यह तो और अच्छी बात है। उम्मीद है गर्व का अहसास करती होंगी हिंदी के संर्च इंजन से जुड़ कर। ऐसे सर्च इंजन से वाकई हिंदी का भी भला होगा।
हिन्दी की रफ्तार तो बनी ही रहेगी। आखिर यह हमारे देश की मातृभाषा जो है।
हिन्दी को सम्मान मिलना ही चाहिए...हम उर्दू के लोग भी हिन्दी की कद्र करते हैं...इसके लिए हिन्दी भाषी लोगों को आगे आना चाहिए...
अनुनाद जी शुक्रिया हौंसलाअफज़ाई के लिए.
फिरदौस जी, उर्दू वाले हिन्दी पर और हिन्दी वाले उर्दू के सम्मान पर नहीं खुश नहीं होंगे तो कौन होगा. इन दोनों को आगे तो बढना ही है.
अच्छा आलेख!!
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