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Sunday, October 4, 2009

रामबाण


दुनिया में एक नया सौंदर्य विकसित हुआ है। यह दिन ब दिन और विकसित, और विकसित किया जा रहा है। इसके होने की इतनी तीव्र जरुरत महसूस की जा रही है कि इसे हर पल हर कोई हवा दे रहा है।

यह हाव भाव का सौंदर्य है। नहीं यह तहजीब नहीं। यह मुखौटा सौंदर्य के ज्यादा करीब है। जिसका मुखौटा सौदर्य जितना बेहतरीन, वह उतना सफल। जिसका मुखौटा सौंदर्य जितना बेहतरीन, वह उतना ही असफल।

'अ' जब शाम को घऱ पहुंचता है तब डोरबेल बजाते बजाते इस मुखौटा सौंदर्य को हौले हौले खींच कर उतार देता है और दरवाजा खुलने तक इसे डोरबैल के बगल में कील के सहारे दीवार से चिपके हुए गणेशजी के कोनों पर टांग देता है। दरवाजा खुलने से ले कर घर में उस शाम का पहला कदम रखने तक वह पोस्टमॉर्टम हो चुका होता है। सब असल। सब रीअल। 'अ' को अपनी खूबसूरत आधुनिक और उसके प्रति निर्लिप्त बीवी से बात करने की इच्छा नहीं होती। उसे बेटे पर प्यार आता है पर जैसे ही वह उसे छोटे वाले के कान खींचते देखता है तो उसे कोफ्त हो उठती है अपनी इस क्रिएशन पर। मां के सामने सुबह होने से पहले वह पड़ने वाला नहीं है,सो इस ओर से जीवन में शाम भर का सुकून है।

पर बच्चे बड़े हो रहे हैं, पर बीवी आजकल दो टाइम जिम जा रही है, बिना किसी सॉलिड वजह के ...और... मां आजकल बड़े भाई के ज्यादा गुणगान करती है बीवी ने बताया था.. ज्यादा आसक्त हो गईं तो हिस्सेदारी में..ओ नो..यह वह कैसे होने दे सकता है..। 'अ' को ऐसे किसी भी डर को हकीकत में न बदल देने की मजबूरी लिए सोफे से उठना पड़ता है।

अब उसे कुछ न कुछ करना ही होगा। वही पुरानी तरकीब आजमानी होगी। इसी तरकीब के सहारे आज वह इस टुच्चे लोगों की फील्ड में इस मुकाम तक पहुंचा है। यह तरकीब काफी हद तक वैसी होगी जैसी वह गणेशजी पर टांग आया है। हां। वैसी सी ही।

'अ' बेडरूम में आ गया है। आदमकद आईने के बगल में बीवी ने नई खपंचें सी लगवाई हैं जिन पर वह अपना परफ्यूम आदि रखती है। यहां 'अ' का परफ्यूम भी रखा है। परफ्यूम की दोनों शीशियों के बीच से 'अ' ने कुछ उठा लिया है। यह 'अ' का दूसरा और आखिरी मुखौटा सौंदर्य है, ऐसा 'अ' का मानना है। 'अ' अब थोड़ा बेहतर महूसस कर रहा है। 'अ' अब हर जंग जीत जाएगा। 'अ' अब रिश्तों की दुनिया में हर टुच्चे-अच्छे को मात देते हुए 'विनर' ही बनेगा, और कुछ नहीं।

रामबाण मिल गया है!

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  हिन्दी के मशहूर कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविताओं को मैंने न्यूज18 हिन्दी के लिए पढ़ा था. यहां मैं पहली बार अपना हिन्दी पॉडकास्ट पोस्ट...