Thursday, September 25, 2008

आहों पर बने सिंहासन


गुजरात पर जितना 'रोआ' जाए, कम है।

मेरे चारों ओर ऐसे महानुभावों की कतई कमी नहीं जो यह मानते हैं कि नरेंद्र मोदी गुजरात के भगवान साबित हुए हैं। उनके जैसा नेता (और भारतीय जनता पार्टी जैसी राजनीतिक पार्टी ) अब ईश्वर की फैक्ट्री में बनने बंद हो गए हैं। आज जो भी कुछ है गुजरात में, नरेंद्र मोदी की ही किरपा है। विकास के नए पैमाने स्थापित किए हैं। रोजगार के नए द्वार खोले हैं। वाह रे मोदी, गुजरात के ही नहीं राष्ट्र के लाल मोदी। हिंदुओं के तारणहार, पालनहार मोदी।

मेरा खून खौलता है। मगर, खौलता तो तेल भी है। आंच पर। होता क्या है? अंतत: तेल में पूरियां तल ली जाती हैं।

नानावती आयोग की रिपोर्ट की पहली किस्त आ गई है। गुजरात के दंगों पर आई इस पहली रिपोर्ट में कहा गया है कि साबरमती एक्सप्रेस को कथित दुघZटना नहीं थी बल्कि पूर्वनियोजित थी। ट्रेन को जलाने के लिए 140 लीटर डीजल का बंदोबस्त भी किया गया। ट्रेन जलाने का िक्लयर कट मकसद था- अराजकता फैलाना। कहा जा रहा है कि रिपोर्ट में मोदी को क्लीन चिट दी गई है।

इस क्लीन चिट पर भगवावादी नेता तो बल्ले बल्ले करेंगे ही, खुद को राष्ट्रवादी कहने वाले कथित हिंदू भी करेंगे।

अभी एक जानकार से इस रिपोर्ट की खबर के बाबत बात हुई तो उनका कहना था, कौन जाने क्या सच है? दंगों में कितने हिंदू मारे गए...साजिश थी या नहीं.. क्या पता..रिपोर्ट विपोर्ट की हकीकतें क्या पता नहीं आपको?

ऐसा कहने सोचने और बोलने वाले केवल यही एक होंगे, ऐसा नहीं। एक ही रिपोर्ट ने दो बातें कहीं हैं। एक, मोदी का इन दंगों से कोई लेना देना नहीं। दूसरी, साबरमती को जलाना साजिश था जिसका मकसद दंगें करवाना था। मगर, अपनी अपनी सहूलियत के अनुसार, हम रिपोर्ट के बिंदु को सच मानेंगे और दूसरे को झूठ।

....हां, खौलता तेल जब पांव पर गिरता है तो कदम रोक देता है। खौलता तेल जब चेहरे पर गिरता है तो नक्शा बिगाड़ देता है। ज्यादा दिनों तक तेल में पूरियां नहीं तली जा सकतीं।

1 comment:

संजय बेंगाणी said...

खौलता तेल नक्शा बिगाड़ ही रहा है, भारत का. भट्टी आजमगढ़ में जल रही है.

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