Wednesday, May 13, 2020

कविता: उफ्फ ये औरतें...

Pooja Prasad Poems

बहुत प्यार आता है हर उस औरत पर
जो आवाज ऊंची कर
डबल विनम्रता से
शुद्ध मर्दों के घेरे में
घुसेड़ने की कोशिश करती है
बस अपनी थोड़ी सी बात
बस अपनी थोड़ी सी चिंता
बस अपनी थोड़ी सी जानकारी

प्यार तो उस पर भी आता है
जो चुनती है खामोशी
रखती है सिर ऊंचा
और नाक ज़रा ज्यादा ही पैनी
मगर रहती है चुप
करती है केवल खुद पर विश्वास
और करती है खारिज स्साला सारे ढकोसले
दरअसल कभी पढ़ा था उसने
'मेरी पीठ पर सिर्फ मेरा ही हाथ है....'

औरतों की दुनिया की बातें जब होती हैं
मर्दों की दुनिया मचल मचल उठती है
जैसे कोई फेवरिट डिश
सामने आ पटकी हो
जैसे कोई बचपन की शरारत
बुढ़ापे में जीनी शुरू कर दी हो
बदलता तो वक्त है
बदलते नहीं हैं लोग
जहां होते हैं दलदल
वहां रहते ही हैं दलदल
साल दर साल
दशक दर दशक

मैं इंतजार करती हूं
जल्द से जल्द पीढ़ियां बदलने का
जल्द से जल्द जरूरत हो खतम
इन औरतों से एकस्ट्रा प्यार जताने की
जल्द से जल्द जरूरत हो खतम
ऐसी खामोशी और ऐसी डबल विनम्रता की.

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