Wednesday, January 9, 2013

निदा, तुझे पी जाएं तो?

निदा को मैंने इतना सुना, जितना किसी और को नहीं सुना। पढा़ तो कइयों को लेकिन निदा को सुना ज्यादा, पढ़ा कम। वजह? निदा के दीवाने एक दोस्त ने हर मौके-बेमौके निदा की पंक्तियां मेरे सामने उगलीं, उड़ेलीं, बकी, कहीं और गुनगुनाईं। आज एक नज्म मैंने पढ़ी उनकी और लगा कि बस जी लूं ये पक्तियां.. तुरंत की तुरंत।

फोटो साभार: Corbis
इतनी पी जाओ
कि कमरे की सियह ख़ामोशी
इससे पहले कि कोई बात करे
तेज नोकीले सवालात करे


इतनी पी जाओ
कि दीवारों के बेरंग निशान
इससे पहले कि
कोई रूप भरें
माँ बहन भाई की तस्वीर करें
मुल्क तक़्सीम करें
इससे पहलें कि उठें दीवारें
खून से माँग भरें तलवारें


यूँ गिरो टूट के बिस्तर पे अँधेरा खो जाए
जब खुले आँख सवेरा हो जाए
इतनी पी जाओ!

2 comments:

sohan said...

:)thodi thodi piya kero...

Rinki Vaish said...

Aur Aankh khulne per jab savera ho, to voh savera bhi pii jaao... Behtareen Nazm.

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