Friday, January 4, 2013

कनॉट प्लेस से कनॉट प्लेस तक


सीसीडी के सामने की सड़क पर
माथे पर बल लिए
फोटो साभार: गूगल
cigarette smoking is injurious to health
जब तुम एक सेकंड में तीन बार
दाएं और बाएं और फिर दाएं
देखते हो
तब मैं तुम्हें घोल कर पी जाना चाहती हूं
और साथ ही साथ
ये भी चाहती हूं
कि माथे पर बल लिए
जब बेचैन आवाज में तुम फोन पर कह रहे हो मुझे
'कहां हो तुम'
ठीक उसी समय
तुम्हारे दाएं हाथ की दो उंगलियों में फंसी बेजुबान आधी जल चुकी
बड़ी गोल्ड फ्लैक की निकोटिन बनना चाहती हूं मैं
चाहती हूं तुम्हारे गले के रास्ते फिसलूं
और समां जाऊं तुम्हारी छाती में
तुम्हें छलनी करने का भी श्रेय
कोई और क्यों ले
मैं हूं न

सीसीडी से दो फुट आगे खड़ी मैं
बस हंसना चाहती हूं
तुमसे मिलने की कोई जल्दी नहीं
मैं तो तुममें घुल जाना चाहती हूं
मुई निकोटिन बन कर
'खी खी खी खी'

मेरी 'खी खी खी खी'
जैसे तुमने सुन ली थी
तुम्हारे ललाट पर अब कोई बल नहीं
तुम तेजी से बढ़ रहे हो
सीसीडी की तरफ से होते हुए दो फुट आगे तक
और वो सिगरेट..ओह.. वो सिगरेट
जो सहमी सी उंगलियों में दबी थी
तुम्हारे होठों पर आखिरी बार आखिरी सांस लेने की इच्छा पाले थी
आधी उम्र मात्र में तुमने रोड पर फेंक दी थी!

कितने निष्टुर तुम
ओह कितने बेदर्द

क्या तुम जानते हो
तुम्हारी लत छुड़वाने के लिए
मुझे भी जाना होगा
किसी नशा मुक्ति केंद्र

'अरे मैं बस आ ही तो रही थी, उस ओर'

1 comment:

Unknown said...

bhut umda kavita... nicotine si jahreeli lekin seedhe ander tak utarne layak... tum uda do us fikr aur us adhmari chahat ko dhuan banaker... kuchh der tak udta dikhega ye dhuan... fir dheere khatm ho jayega uska asar... nicotine ki taraha - sohan

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