बहुत जरूरी है इस कविता के निहितार्थ को समझना। राकेश जोशी जी ने अपनी कविता में जो कह दिया है, वही सच है, सामयिक है।
जो इस पागलपन में शामिल नहीं होंगे
मारे जाएंगे।
कठघरे मे खडे् कर दिए जाएंगे जो विरोध में बोलेंगे
जो सच सच बोलेंगे मारे जाएंगे।
बर्दाश्त नहीं किया जाएगा कि किसी की कमीज हो
उनकी कमीज से ज्यादा सफेद
कमीज पर जिनके दाग नहीं होंगे मारे जाएंगे।
धकेल दिए जाएंगे कला की दुनिया से बाहर
जो चारण नहीं होंगे
जो गुण नही गाएंगे मारे जाएंगे।
धर्म की ध्वजा उठाने जो नहीं जाएंगे जुलूस में
गलियां भून डालेंगीं उन्हें काफिर करार दिए जाएंगे।
सबसे बडा् अपराध है इस समय में
निहत्थे और निरपराधी होना
जो अपराधी नही होंगेमारेजायेंगे
- राजेश जोशी
जो इस पागलपन में शामिल नहीं होंगे
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कठघरे मे खडे् कर दिए जाएंगे जो विरोध में बोलेंगे
जो सच सच बोलेंगे मारे जाएंगे।
बर्दाश्त नहीं किया जाएगा कि किसी की कमीज हो
उनकी कमीज से ज्यादा सफेद
कमीज पर जिनके दाग नहीं होंगे मारे जाएंगे।
धकेल दिए जाएंगे कला की दुनिया से बाहर
जो चारण नहीं होंगे
जो गुण नही गाएंगे मारे जाएंगे।
धर्म की ध्वजा उठाने जो नहीं जाएंगे जुलूस में
गलियां भून डालेंगीं उन्हें काफिर करार दिए जाएंगे।
सबसे बडा् अपराध है इस समय में
निहत्थे और निरपराधी होना
जो अपराधी नही होंगेमारेजायेंगे
- राजेश जोशी
1 comment:
bhut achhe :)
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