Thursday, August 7, 2008
आने से पहले
आ रहा है, आ गया है, बीत रहा है, बीत गया है, बीत चुका है। ये 15 अगस्त है। हर साल का पंद्रह अगस्त ऐसे ही आता है। बीतने लगता है। और फिर बीत जाता है। अगले सप्ताह शुक्रवार को है 15 अगस्त। मन कुलांचे साला फिर मारने लगा है। हर बार मारने लगता है। अपना स्वतंत्रता दिवस आ रहा है।
आ रहा है.... आ रहा है...आ गया है... चला गया है... बस चला सा गया है...
एम सी मॉडल स्कूल में प्रिंसिपल नंदा का विशेष निर्देश था जिसका मैंने पांचवी तक हर दिन, वाकई हर दिन, पालन होते देखा। सुबह प्रार्थना शुरू होने तक के लगभग 15 मिनट के समय में देश भक्ति के गीत प्रतिदिन बजते। तेज आवाज से भोंपू में। इस बीच नंदा मैडम स्कूल का मुस्कुराते हुए राउंड लेतीं। हम उन्हें देखते ही इधर उधर दुबकने को होते.... क्यों तो पता नहीं... गर वे जालिम सी प्रिसिंपल नहीं थी, ये मुझे ध्यान है। उनके चेहरे का दर्प मुझे हल्का हल्का याद है। ......
तब से 15 अगस्त और 26 जनवरी के करीब आते ही जो गीत बजते हैं, वे उसी वक्त में ले जाते हैं। याद है जब देशभक्ति के गानों के बोलों को मैं गंभीरता से लेते हुए सोचती थी कि मेरा देश महान है, महान देश के लिए कुछ करूंगी जरूर, सेना में जरूर भर्ती होऊंगी, गंदे से कपड़े पहने जो बच्चे हमारी सरकारी कॉलोनी के आस पास दिखाई देते हैं (पास ही जे जे कॉलोनी है) को स्कूल ले आऊंगी, देश के लिए बहुत कुछ करूंगी, बॉर्डर पर दुश्मन से लडूंगी और मर जाऊंगी आदि इत्यादि। सपने देखती थी बाकायदा।
अब 15 अगस्त आता है तो बचपन में की गईं 'प्रतिज्ञाएं' भी याद आती हैं। और मन रूंआसा हो उठता है। ये गीत याद दिलाते हैं कि बेटा, हम तो अब भी वही हैं.... जज्बात हमारे बोलों में अब भी गहन हैं तुम्हारे जज्बातों में से देश का हिस्सा गल गया है क्या?
पता नहीं..... शायद नहीं..... शायद हां।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Podcast: सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविताओं का मेरा पॉडकास्ट
हिन्दी के मशहूर कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविताओं को मैंने न्यूज18 हिन्दी के लिए पढ़ा था. यहां मैं पहली बार अपना हिन्दी पॉडकास्ट पोस्ट...
-
वैसे तो प्रेम और आस्था निजी मामला है। विशेषतौर पर तब जब वह ईश्वर से/पर हो। लेकिन, मित्र प्रणव प्रियदर्शी जी ने बस बात- २ पोस्ट को ले कर घो...
-
life is just a hand away death, too, is a hand away in between the happiness and despair- I reside... fake is what soul wore today shadow is...
-
यूं तो हम और आप कितना ही साहित्य पढ़ते हैं, पर कुछ लफ्ज अंकित हो जाते हैं जहनोदिल पर। ऐसे अनगिनत अंकित लफ्जों में से कुछ ये हैं जिन्हें Boo...
2 comments:
मनोभावों को सुन्दरता से व्यक्त किया है.बधाई.
badhaai apko bhi, magar swatantrataa divas ki
:)
Post a Comment