Monday, March 10, 2014

Happy Journey Ahead

जब हम लिखना तय करते हैं तब हम, दरअसल, उड़ना तय करते हैं.

लिखने के लिए मुझे कभी तय नहीं करना पड़ना पड़ा. कोई प्लानिंग नहीं करनी पड़ी. लेकिन आज मैं तय कर रही हूं.

यह तय करना इसलिए पड़ रहा है कि मुझे एक बार फिर से उन आभासी आंखों से बातें करनी हैं, जिनसे मैं इस प्लैटफॉर्म पर लंबे समय से मुखातिब नहीं हूं.

तो ये जो नया नया सा तय कर रही हूं उसकी जरूरत इसलिए आन पड़ी कि मंजिलों तक पहुंचते रास्तों को तय करने में जो सड़क वाला रास्ता मैं पैदल तय कर रही थी, उसमें काफी मशगूल रही. पता ही नहीं चला कि यह जो सॉलिलक्वि होता है, ये जो वर्चुअल वर्ल्ड पर वर्चुअल सा बना रहना होता है, वह कब पीछे छूटता गया..

खैर, लब्बोलुआब यह है कि अब हम साथ हैं. :)

ये साथ बना रहे इसकी नियमित कोशिश रहेगी. ट्विटर के 140 अक्षरों के जमाने में पुराने ब्लॉग पर वापसी मुझे उम्मीद है, अच्छी रहेगी.

हैपी जर्नी अहेड
और, जैसा इस देश के ट्रक कहते हैं- फिर मिलेंगे
आज से अपना वादा रहा, हम मिलेंगे हर एक मोड़ पर

3 comments:

jarra said...

भला इस महत्वाकांक्षी दौर में उड़ना कौन नहीं चाहता, तभी तो सब कुछ तय होते हैं, विचार, रिश्ते,बातें
वो है न बात-बात में कहते हैं-सब कुछ पहले से तय होता है, बस यही है जीवन
खैर, मजा ता तभी है जब हम तय नहीं करते, बस चलते..

jarra said...

भला इस महत्वाकांक्षी दौर में उड़ना कौन नहीं चाहता, तभी तो सब कुछ तय होते हैं, विचार, रिश्ते,बातें
वो है न बात-बात में कहते हैं-सब कुछ पहले से तय होता है, बस यही है जीवन
खैर, मजा ता तभी है जब हम तय नहीं करते, बस चलते..

Webpace India said...

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Podcast: सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविताओं का मेरा पॉडकास्ट

  हिन्दी के मशहूर कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविताओं को मैंने न्यूज18 हिन्दी के लिए पढ़ा था. यहां मैं पहली बार अपना हिन्दी पॉडकास्ट पोस्ट...