Monday, October 26, 2009

माया की नगरिया में सोने की डगरिया..

..और जगजीत सिंह की आवाज मन में भीतर गहराती ही जा रही है। यह गीत सुनिए। पारुलचांदपुखराजका की पिछली पोस्ट खंगालते में मिल गया। वहीं से कॉपी कर रही हूं। फिल्म कालका का यह गीत मैंने पहले कभी नहीं सुना था..पर अब सुना तो बस खूब सुना और साझा करने का मन किया..। आप भी सुनें तो..

3 comments:

Udan Tashtari said...

सुन लिया..अच्छा लगा.

Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झा said...

यह गीत डूबने के लिए है..बेहतरीन।

विनीत खरे said...

पूजा जी, मज़ा आ गया!

Podcast: सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविताओं का मेरा पॉडकास्ट

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