..और जगजीत सिंह की आवाज मन में भीतर गहराती ही जा रही है। यह गीत सुनिए। पारुलचांदपुखराजका की पिछली पोस्ट खंगालते में मिल गया। वहीं से कॉपी कर रही हूं। फिल्म कालका का यह गीत मैंने पहले कभी नहीं सुना था..पर अब सुना तो बस खूब सुना और साझा करने का मन किया..। आप भी सुनें तो..
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Podcast: सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविताओं का मेरा पॉडकास्ट
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life is just a hand away death, too, is a hand away in between the happiness and despair- I reside... fake is what soul wore today shadow is...
3 comments:
सुन लिया..अच्छा लगा.
यह गीत डूबने के लिए है..बेहतरीन।
पूजा जी, मज़ा आ गया!
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