Thursday, July 9, 2009

कलाकार से स्टार बनने तक

फिल्म न्यू यॉर्क देखिए।

जॉन अब्राहम की जिस्म के बाद की अच्छी एक्टिंग के कुछ दृश्यों के लिए नहीं। कटरीना कैफ की एक्टिंग की कोशिश के लिए भी नहीं। इरफान की मजेदार एक्टिंग के लिए भी नहीं।

फिल्म देखिए एक किरदार के लिए जिसका नाम है नवाबुद्दीन। यह किरदार जिसने निभाया है, मुझे उसका नाम नहीं मालूम। वह तीन दृश्यों में है। पहले दृश्य में क्लोज अप कैमरा सीक्वेंस में वह एफबीआई द्रारा उसके साथ की गई ज्यादतियों के बारे में कटरीना कैफ को बता रहा है। केवल चेहरा। काला चमकता और हर शब्द के हर अक्षर के साथ कांपता चेहरा। कांपते होंठों से बेहतरीन डॉयलॉग डिलीवरी वाकई नवाबुद्दीन के अभिनय की कारीगरी है। कुछ पलों में ही इस करेक्टर ने अपनी छाप छोड़ दीहै। दूसरे दृश्य में वह कटरीना के साथ कार में है जहां उसने अच्छा अभिनय किया है। तीसरे दृश्य में ब्रिटिश पुलिस ऑफिसर की हत्या के बाद आत्महत्या का दृश्य भी चंद पलों का ही है।

न्यू यॉर्क देख कर ऐसा महसूस होता है कि अक्सर स्टार कलाकार नहीं बन पाता। हर कलाकार भी स्टार नहीं बन पाता। पर, कभी कभी कोई कलाकार हर स्टार पर भारी पड़ता है। इस फिल्म में वह कलाकार है नवाबुद्दीन का अभिनय करने वाला अभिनेता।

4 comments:

नीरज गोस्वामी said...

फिल्म अभी तक देखी नहीं लेकिन अब लगता है देखनी पड़ेगी....ये जिन्हें हम छोटे कलाकार कहते हैं असल में अभिनय की खान होते हैं...किस्मत उन्हें स्टार नहीं बनाती लेकिन उनके पास क्षमता स्टार से अधिक होती है...राम गोपाल वर्मा और अनुराग कश्यप की फिल्म में छोटे कलाकार बडो से बाज़ी मारते दिख जाते हैं...
नीरज

निखिल आनंद गिरि said...

आप बैठक पर फिल्म समीक्षा लिखिए ना....

www.baithak.hindyugm.com

निखिल

Udan Tashtari said...

देखते हैं यह फिल्म!

विनीत खरे said...

पूजा जी, मैनें अभी फिल्म देखी नहीं है. आपके शब्द मुझे मजबूर कर रहे है इस फिल्म को देखने की लिए

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